Parivartini Ekadashi भारतीय हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है और इसे “आश्लेषा एकादशी” के नाम से भी जाना जाता है। इस लेख में, हम Parivartini Ekadashi 2024 के पूजा विधि, मुहूर्त और व्रत समाप्ति के सही समय पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे आप इस महत्वपूर्ण पर्व को सही ढंग से मना सकें।
Parivartini Ekadashi 2024 Date
Parivartini Ekadashi 2024 09 सितंबर को मनाई जाएगी। यह पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और इस व्रत को रखने से विशेष फल प्राप्त होता है।
Parivartini Ekadashi पूजा विधि
Parivartini Ekadashi पर पूजा की विधि निम्नलिखित है:
- व्रत की तैयारी: इस दिन व्रत रखने से पहले, सुबह जल्दी उठकर स्नान करना आवश्यक है। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें।
- पूजा स्थल की सजावट: पूजा स्थल को स्वच्छ करके रंग-बिरंगे फूल, दीपक और अन्य पूजा सामग्री से सजाएं।
- पूजा सामग्री: पूजा के लिए चंदन, पुष्प, धूप, दीपक, मिठाई, फल और विशेष पूजा सामग्री एकत्रित करें।
- आराधना: भगवान विष्णु की आराधना करें। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए, जैसे कि “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”।
- भोग अर्पण: पूजा के बाद भगवान को भोग अर्पित करें और परिवार के सभी सदस्यों के साथ भोजन करें।
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Parivartini Ekadashi Muhurat (पूजा मुहूर्त)
Ekadashi के दिन पूजा का सही समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस वर्ष पूजा का मुहूर्त निम्नलिखित है:
- व्रत प्रारंभ: 08 सितंबर 2024 को शाम 06:00 बजे से
- व्रत समाप्ति: 09 सितंबर 2024 को शाम 07:00 बजे तक
- पूजा का मुख्य मुहूर्त: 09 सितंबर 2024 को सुबह 07:00 बजे से 09:00 बजे तक
व्रत समाप्ति का सही समय
व्रत को समाप्त करने का सही समय भी महत्वपूर्ण होता है:
- व्रत समाप्ति: 09 सितंबर 2024 को शाम 07:00 बजे के बाद
Parivartini Ekadashi का महत्व
महत्व कई दृष्टिकोण से अत्यधिक है:
- आध्यात्मिक लाभ (Spiritual Benefits): इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति की आत्मा को शांति और सुकून प्राप्त होता है। भगवान विष्णु की आराधना से भक्त के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- धार्मिक परंपरा (Religious Tradition): यह पर्व धार्मिक परंपराओं का अनुसरण करता है और भक्तों को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
- पुण्य लाभ (Pious Benefits): इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है, जो उसके जीवन को सुखमय बनाता है और उसकी समस्याओं का समाधान करता है।
एक साधारण पूजा प्रक्रिया का आरेख
व्रत की तैयारी → पूजा स्थल की सजावट → पूजा सामग्री → आराधना → भोग अर्पण
परिवर्तिनी एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, जो भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन को भगवान विष्णु के भक्तों द्वारा बड़े श्रद्धा और भक्तिभाव से मनाया जाता है। परिवर्तिनी एकादशी का दिन धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है, और इसे व्रत और पूजा के माध्यम से मनाने से भक्तों को आध्यात्मिक लाभ और अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
परिवर्तिनी एकादशी का अर्थ है ‘परिवर्तन की एकादशी’, और इस दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा में परिवर्तित होने की मान्यता है। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसे भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट करने का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है। व्रत के दौरान भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है, और विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है।
पूजा विधि के अनुसार, भक्तों को इस दिन प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए और भगवान विष्णु के समक्ष दीप, धूप, फूल, और नैवेद्य अर्पित करके पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते और पंचामृत का भोग लगाना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को दिनभर उपवास करना चाहिए और रात्रि में जागरण करके भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए।
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इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से हम आशा करते हैं कि आप Parivartini Ekadashi के महत्व और पूजा विधि को समझ पाएंगे और इस पर्व को सही ढंग से मना सकेंगे। इस महत्वपूर्ण दिन को विशेष रूप से मनाकर आप अपने जीवन को और भी शुभ बना सकते हैं।