History Of Jyestha Bade Mangal : लखनऊ में क्या है ज्येष्ठ बड़े मंगल का इतिहास

हैलो दोस्तों। आज हम आपको History Of Jyestha Bade Mangal ( लखनऊ में क्या है ज्येष्ठ बड़े मंगल का इतिहास ) के बारे में बतायेंगे। बड़ा मंगल ना सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है बल्कि यह आस्था एकजुटता दान-पुण्य की भावना का अनूठा प्रतीक है। इस दिन राजधानी लखनऊ के लोगों में आपको चहुॅं ओर एक अलग ही प्रकार का उत्साह, भक्ति दिखाई देगी। पूरे लखनऊ में जगह-जगह भण्डारों का आयोजन, पेयजल, शर्बत वितरण की अनूठी निस्वार्थ सेवा भावना देखने को मिलेगी। लखनऊ में क्या है ज्येष्ठ बड़े मंगल का इतिहास आज हम आपको अपने इस लेख में बतायेंगे। प्रथाओं के अनुसार बड़े मंगल हैं तो एक हिन्दू पर्व। परन्तु इतिहास की माने तो इसका कनेक्शन नवाब साहब एवं उनकी बेगम से जुड़ा है।

History Of Jyestha Bade Mangal : लखनऊ में क्या है ज्येष्ठ बड़े मंगल का इतिहास

Content

  • लखनऊ में क्या है ज्येष्ठ बड़े मंगल का इतिहास
  • क्या है लखनऊ से बड़े मंगल का कनेक्शन
  • ज्येष्ठ के बड़े मंगल का महत्व
  • भण्डारों का आयोजन
  • सुन्दरकाण्ड भजन आदि का आयोजन
  • 2024 ज्येष्ठ माह में कितने बड़े मंगल हैं
  • राजधानी लखनऊ के 03 बड़े और सिद्ध मंदिर
  • ज्येष्ठ बड़े मंगल अर्थात बुढ़वा मंगल 2024 पर लेखिका की सलाह

लखनऊ में क्या है ज्येष्ठ बड़े मंगल का इतिहास

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ के बड़े मंगल अर्थात बुढ़वा मंगल के इतिहास की अगर हम बात करें तो इसकी अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार इसकी शुरूआत अवध के नवाब साहब का बेटे बीमार हो गया जो कि काफी समय तक बीमार रहे।। नवाब साहब की बेगम को किसी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में मगलवार के दिन प्रार्थना करने की सलाह दी। नवाब साहब की बेगम प्राचीन हनुमान मंदिर में मगलवार को प्रार्थना मॉगने गयी। चमत्कारिक रूप से बेटे के स्वास्थ्य में सुधार होने लगा। बेटे के स्वस्थ होने के बाद नवाब साहब एवं उनकी बेगम ने कृतज्ञता प्रकट करते हुये हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया, जो की ज्येष्ठ माह में पूर्ण हुआ। तभी से बड़ा मंगल अर्थात बुढ़वा मंगल मनाने की परम्परा प्रारम्भ हुयी।

क्या है लखनऊ से बड़े मंगल का कनेक्शन

ज्येष्ठ के बड़े मंगल का महत्व की अगर हम बात करें तो इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल हैं। ऐसा कहा जाता है कि त्रेता युग में प्रभु श्री राम की भेंट ज्येष्ठ माह में अपने भक्त श्री हनुमान जी से हुयी थी। बड़े मंगल पर हनुमान जी की पूजा, अर्चना, आराधना करने से हमारी सारी मनोकामना, कष्ट, सभी प्रकार की परेशानियॉं दूर होती है तथा हमारे जीवन में खुशहाली, समृद्धि, आती है।

ज्येष्ठ के बड़े मंगल का महत्व

भण्डारों का आयोजन

ज्येष्ठ के बड़े मंगल पर भण्डारा एक हृदय को छू लेने वाली परम्परा मात्र ही नहीं अपितु इसमें हम सबकी एकजुटता देखने को मिलती है। जो कि एक सामुदायिक भावना का प्रतीक है। राजधानी में जगह-जगह भण्डारों का आयोजन, इस दिन पूरे शहर में पूरी-सब्जी, हलवा, कद्दू, छोले-चावल, कढ़ी चावल आदि का वितरण किया जाता है। साथ ही कुछ लोग शर्बत आदि का भी वितरण करते हैं। इस महापर्व पर सब एक साथ खुशियां साझा करने भोजन साझा करने एक दूसरे की सहायता करने एकजुट दिखायी देते है। जिसका शब्दों में वर्णन करना मुश्किल है। भण्डारे के स्वादिष्ट भोजन का आन्नद सभी वर्ग के लोग करते हैं। चाहें वो किसी भी वर्ग के हों।

सुन्दरकाण्ड भजन आदि का आयोजन

बड़े मंगल पर जगह-जगह, मंदिरों में भजन, सुन्दरकाण्ड आदि का आयोजन होता है। भक्तगण एकजुट होकर श्री हनुमान जी की प्रार्थना करने के लिये एकत्रित होते हैं। जिससे एकता, और आघ्यात्मिक जुड़ाव की भावना के दर्शन होते है।

2024 ज्येष्ठ माह में कितने बड़े मंगल हैं
  • प्रथम बड़ा मंगल- 28 मई 2024
  • द्वितीय बड़ा मंगल-04 जून 2024
  • तृतीय बड़ा मंगल-11 जून 2024
  • चर्तुथ बड़ा मंगल-18 जून 2024

राजधानी लखनऊ के 03 बड़े और सिद्ध मंदिर

  • हनुमान सेतु मंदिर
  • प्राचीन हनुमान मंदिर
  • हनुमंत धाम मंदिर

हनुमान सेतु मंदिर

गोमती नदी के तट पर स्थित हनुमान सेतु मंदिर लखनऊ का एक प्रमुख और सिद्ध मंदिर है। यह मंदिर लखनऊ विश्वविद्यालय रोड पर स्थित है। हनुमान सेतु मंदिर की स्थापना नीम करौली बाबा ने गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1967 में की थी। श्री हनुमान जी की प्रतिमा की स्थापना बाबा नीम करौली बाबा ने करवाई थी। आज भी यहॉं गोमती तट पर पुराने मंदिर में नीम करौली बाबा का कक्ष मौजूद है।

हनुमान सेतु एक सिद्ध मंदिर है। कहा जाता है यदि भक्त किन्हीं कारणोंवश स्वयं दर्शन करने ना आ पाये तो अपनी मनोकामना पत्र, चिटठी के माध्यम से भेज दें उसकी मनोकामना पूर्ण हो जायेगी। हनुमान सेतु मंदिर से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है। सभी की मनोकामना पूर्ण होती है। यहां नीम करौली बाबा स्वयं विराजमान है। बड़े मंगल के दिन यहॉं भक्तो की भारी भीड़ होती है। दर्शन करने वाले भक्तो की लम्बी लाइन लगती है।

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प्राचीन हनुमान मंदिर

प्राचीन हनुमान मंदिर अलीगंज में स्थित है। यही वह मंदिर है जहॉं नवाब साहब की पत्नी ने अपने बेटे के स्वस्थ होने की प्रार्थना की थी। बड़े मंगल के दिन यहॉं भक्तो की भारी भीड़ होती है।

हनुमंत धाम मंदिर

हनुमंत धाम मंदिर राणा प्रताप मार्ग पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है। हनुमंत धाम मंदिर 400 वर्ष पुराना मंदिर है। यह गोमती नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर में हनुमान जी की सवा लाख प्रतिमाएं है, जो इसे और खास बनाती है। इस मंदिर में अन्य देवी देवताओं के विग्रह भी मौजूद है। इन विग्रहों के भाव इतने सजीव नजर आते हैं कि जैसे भगवान स्वयं भक्तों के समक्ष उपस्थित है। परन्तु हनुमान जी के अलग-अलग मुद्राओं में रामभक्ति में लीन की बात ही कुछ और है। हनुमंत धाम मंदिर में आकर ऐसा प्रतीत होता है कि हम किसी दिव्य लोक में आ गये हैं। यहॉं का शांत वातवारण, चारों तरफ हरियाली ही हरियाली तथा सांय होते ही रोशनी में नहाया हनुमंत धाम मंदिर और भी सुन्दर दिखायी पड़ता है। इसकी सुन्दरता का एक प्रमुख कारण गोमती किनारे स्थित होना भी है।

ज्येष्ठ बड़े मंगल अर्थात बुढ़वा मंगल 2024 पर लेखिका की सलाह

आप भक्त हों अथवा समृद्ध, सांस्कृतिक परम्पराओं का अनुभव करने के इच्छुक आंगतुक हों। बड़ा मंगल अर्थात बुढ़वा मंगल एक अ़िद्वतीय आध्यात्मिक एक अनूठी परम्म्परा है। ज्येष्ठ बड़े मंगल के अनूठे उत्सव महापर्व में पूर्णतः डूबने के लिये आपको यहॉं के प्रतिष्ठित हनुमान मंदिर यथा-हनुमान सेतु मंदिर, प्राचीन हनुमान मंदिर अलीगंज, हनुमंत धाम मंदिर के दर्शन अवश्य करने जायें।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण)ः यह लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में दी गयी सूचना एवं तथ्यों की सटीकता, सम्पूर्णता की पुष्टि लेखिका नहीं करती है। यह सभी सूचनायें मान्यताओं, प्रथाओं पर आधारित है।

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