आर्यन ख़ान की पहली सिरीज़ Bollywood में नेपोटिज़्म की बहस फिर से तेज़

शाहरुख़ ख़ान का नाम आते ही लोगों के दिमाग़ में बॉलीवुड का किंग खान याद आता है। उनकी पॉपुलैरिटी सिर्फ़ इंडिया तक सीमित नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है। अब जब उनके बेटे आर्यन ख़ान ने अपनी पहली वेब सिरीज़ के साथ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा है, तो ये ख़बर हर जगह चर्चा का विषय बन चुकी है। फैंस जहां इसे लेकर उत्साहित हैं, वहीं दूसरी तरफ़ एक पुरानी बहस फिर से ज़िंदा हो गई है बॉलीवुड में नेपोटिज़्म की बहस।

आर्यन ख़ान का डेब्यू और फैंस की उम्मीदें

आर्यन ने ऐक्टर के तौर पर नहीं बल्कि एक राइटर और क्रिएटर के तौर पर अपनी सिरीज़ लॉन्च की है। ये बात कई लोगों को दिलचस्प लगी, क्योंकि उम्मीद थी कि वो अपने पापा की तरह एक्टिंग से शुरुआत करेंगे। लेकिन आर्यन ने अलग रास्ता चुना और कंटेंट क्रिएशन पर फोकस किया। फैंस और मीडिया दोनों इस बात को लेकर काफ़ी उत्सुक हैं कि आखिर उनकी सोच बॉलीवुड में क्या नया लाएगी।

नेपोटिज़्म का मुद्दा फिर क्यों उठा?

जैसे ही ये ऐलान हुआ, लोगों ने सोशल मीडिया पर फिर से सवाल उठाना शुरू कर दिया कि क्या स्टार किड्स को हमेशा आसान रास्ते मिलते हैं? बहुत से यूज़र्स का मानना है कि आर्यन को सिर्फ़ इसलिए इतना बड़ा प्लेटफ़ॉर्म मिला क्योंकि वो शाहरुख़ ख़ान के बेटे हैं। वहीं दूसरी तरफ़ कुछ लोग कह रहे हैं कि टैलेंट किसी का भी हो सकता है, और आर्यन को भी काम करके अपनी पहचान साबित करनी होगी।

बॉलीवुड में नेपोटिज़्म का असर

ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी स्टार किड के डेब्यू पर नेपोटिज़्म की बात उठी हो। आलिया भट्ट, जान्हवी कपूर, सारा अली ख़ान और अनन्या पांडे जैसे कई स्टार किड्स को लेकर भी ऐसी ही चर्चाएँ होती रही हैं। बहुत से स्ट्रगलिंग आर्टिस्ट्स कहते हैं कि उन्हें सालों ऑडिशन देने पड़ते हैं, लेकिन स्टार किड्स को सीधा बड़े बैनर की फ़िल्में मिल जाती हैं। यही वजह है कि जब भी किसी फ़िल्मी बैकग्राउंड से नया चेहरा आता है, तो लोग तुलना करने लगते हैं।

आर्यन के केस में अलग क्या है?

आर्यन की सिरीज़ पर निगाहें सिर्फ़ इसलिए नहीं हैं कि वो शाहरुख़ ख़ान के बेटे हैं, बल्कि इसलिए भी कि उन्होंने एक्टिंग नहीं चुनी। उन्होंने राइटिंग और कंटेंट क्रिएशन के ज़रिए खुद को पेश करने की कोशिश की है। ये एक तरह से लोगों की सोच बदलने वाला कदम भी हो सकता है। अगर उनका कंटेंट वाक़ई अच्छा निकला, तो शायद वो लोगों की नेपोटिज़्म वाली सोच को थोड़ा बदलने में कामयाब हो जाएँ। आर्यन ख़ान की पहली सिरीज़ Bollywood में नेपोटिज़्म की बहस फिर से तेज़

पब्लिक रिएक्शन और सोशल मीडिया की भूमिका

आज के समय में सोशल मीडिया बहुत ताक़तवर हो चुका है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर आर्यन की सिरीज़ से जुड़े पोस्ट और वीडियो ट्रेंड कर रहे हैं। कुछ लोग कह रहे हैं कि उन्हें आर्यन को एक मौका देना चाहिए, वहीं कुछ अब भी मानते हैं कि ये “सिर्फ़ नेपोटिज़्म का ही खेल” है। जो भी हो, पब्लिक रिएक्शन ही आने वाले समय में आर्यन के काम की असली परीक्षा लेगा।

क्या नेपोटिज़्म हमेशा बुरा होता है?

ये सवाल हमेशा से बहस का हिस्सा रहा है। सच तो ये है कि किसी भी इंडस्ट्री में अगर आपके पास फैमिली कनेक्शन हैं, तो शुरुआत आसान हो जाती है। लेकिन लंबे समय तक टिके रहने के लिए टैलेंट और मेहनत ही काम आते हैं। शाहरुख़ ख़ान खुद इस बात की मिसाल हैं, क्योंकि उन्होंने बिना किसी गॉडफादर के इंडस्ट्री में जगह बनाई। अब यही देखना दिलचस्प होगा कि आर्यन अपने टैलेंट और मेहनत से कितनी दूर तक जा पाते हैं।

निष्कर्ष

आर्यन ख़ान की पहली सिरीज़ के साथ बॉलीवुड में फिर से नेपोटिज़्म की बहस तेज़ हो गई है। लेकिन साथ ही ये भी साफ़ है कि पब्लिक आजकल सिर्फ़ नाम पर भरोसा नहीं करती, बल्कि असली टैलेंट देखना चाहती है। आर्यन को एक बड़ी शुरुआत ज़रूर मिली है, लेकिन उनकी असली पहचान इस बात से बनेगी कि वो आने वाले प्रोजेक्ट्स में क्या नया और दमदार कंटेंट लेकर आते हैं।

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