ये कथन तो हम बचपन से सुनते और पढ़ते आए है, लेकिन समय के साथ साथ अनुभव हुआ की वास्तव में जल ही जीवन की धुरी है । जल का हमारे जीवन मे अत्यधिक महत्व ( Importance of water in our life ) है । जल के बिना जीवन सम्भव नही है । जल के सिवा मनुष्य, जीव-जंतु, पेड़ पौधों सभी का जीवन नष्ट हो जाएगा ।
Importance of water in our life जल की महत्ता
यह तो सर्वविदित है कि मानव शरीर का 70% हिस्सा पानी से बना है और मानव के जीवन का हर पल-प्रतिपल पानी पर ही आश्रित है। हम भोजन के बिना तो एक सप्ताह तक जीवित रह सकते है परंतु जल के बिना 03 दिन से ज्यादा जीवित रहना संभव नहीं है। जल जहां हमे पीने के लिए आवश्यक है वही पौधो, वनस्पतियों, फसलों, सभी प्रमुख उद्योगों को भी किसी न किसी रूप में पानी की आवश्यकता होती है ।
Distribution of water जल का वितरण
यद्यपि पूरे विश्व में 70 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सों में जल ही जल फैला हुआ है मगर यह सब खारे पानी का हिस्सा है, जिसमें 35% से भी अधिक साल्ट होता है और इसका प्रयोग ना तो पेय जल के रूप में किया जा सकता है और ना ही कृषि या उद्योगों में ही किया जा सकता है।
पूरे विश्व में उपलब्ध पूरे जल संसाधन का मात्र 2.5 % Water ही हमारे जीवन के लिए उपयोगी है। इसलिए इस जल का उपयोग समझदारी और सावधानी से करना आवश्यक है, लेकिन हम अब तक इसके विपरीत ही आचरण करते आए हैं।
Due to lack of water जल की कमी के कारण
भारत में पानी भारत की कमी के कई कारण हैं। जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण पानी की मांग में वृद्धि जारी है, जबकि मीठे पानी के स्रोतों की आपूर्ति सीमित बनी हुई है। इससे जल की कमी की स्थिति पैदा हो गई है, जहाँ उपलब्ध जल संसाधन आबादी की ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
तेजी से बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण जल निकायों का प्रदूषण बढ़ गया है, जिससे वे पीने लायक नहीं रह गए हैं। इसके अलावा अकुशल कृषि पद्धतियों और अत्यधिक भूजल दोहन ने महत्वपूर्ण जल स्रोतों को तो जैसे खत्म ही कर दिया है।
जलवायु परिवर्तन से स्थिति और भी खराब हो जाती है, जिससे मानसून का चक्र बदलने लगता है और नदियों और तालाबों के पुनर्भरण पर भी असर पड़ता है। बहुत बडी चिंता का विषय है कि यह कीमती संसाधन भी दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है। इसके पीछे अधिकांश कारण केवल मानव निर्मित हैं।
हम हर दिन अलग-अलग उद्देश्यों के लिए पानी का दोहन करते रहते हैं। इसके अलावा, हम इसे दिन-प्रतिदिन प्रदूषित भी करते रहते हैं। उद्योगों और सीवेज से निकलने वाला मल-मूत्र सीधे हमारे जल निकायों में फैल जाता है।
Effect of water shortage जल की कमी का प्रभाव
Water की कमी एक गंभीर वैश्विक चिंता का विषय है, जो भारत जैसे जल-समृद्ध देश के लिए विशेष रूप से गंभीर चिंतन का कारण है। भारत में पानी की कमी के परिणाम विनाशकारी हैं। चूंकि भारत कृषि पर निर्भर देश है अत: यहां इस संकट के दूरगामी परिणाम परिलक्षित होते हैं।
पानी की कमी से देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि पर असर पड़ता है, जिससे फसल की पैदावार कम होती है और खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ती हैं। बहुत सारे समुदाय अपर्याप्त स्वच्छता और सफाई से पीड़ित हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जलजनित बीमारियाँ होती हैं। इसके अलावा, विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के बीच जल संसाधनों को लेकर संघर्ष उत्पन्न होते हैं ।
इन मुद्दों के कारण कृषि पर अत्यधिक निर्भर क्षेत्रों का सामाजिक-आर्थिक ताना-बाना गंभीर रूप से तनावपूर्ण है। इसके अलावा, वर्षा जल को संग्रहित करने के लिए बहुत कम या कोई सुविधा नहीं बची है। इसलिए बाढ़ एक आम बात हो गई है। इसी तरह, नदी के किनारों की उपजाऊ मिट्टी का लापरवाही से उपयोग किया जाता है।
इसका नतीजा भी बाढ़ के रूप में सामने आता है। हमारे देश में कई स्थानो पर पीने की पानी की अत्यन्त कमी हो जाती है, जिसके कारण जनजीवन गम्भीर रूप से प्रभावित होता है। नई दिल्ली, बैगलोर, चेन्नई जैसे बडे-बडे शहरों में पीने के पानी के लिये जनता को नगर निगम के टैंकरों पर आश्रित होना पडता है और आये दिन इसके लिये मार पीट तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
Need and measures for water conservation जल संरक्षण की आवश्यकता और उपाय
आजकल भारत सहित बहुत से देशों में स्वच्छ Water की भी कमी होती जा रही है और जल की कमी एक विश्व व्यापी समस्या के रूप में है। हमें अपनी भावी पीढ़ियों के लिए दुनिया को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए तुरंत इससे निपटना ही होगा। जनसंख्या के बढने के कारण कंक्रीट के जंगलों में रहने से वैसे भी हरियाली कम हो गई है।
इसके अलावा हम अपने उददेश्यों की पूर्ति के लिेये जंगलों को नित्य प्रति काटते भी जा रहे हैं जो पानी के संरक्षण का एक बड़ा स्रोत होते हैं। इस प्रकार, जल संरक्षण की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक और महत्वपूर्ण हो गई है।
हम राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी Water संरक्षण के लिए कई कदम उठा सकते हैं। सबसे पहले, हमारी सरकारों को जल संरक्षण के लिए कुशल रणनीतियों को लागू करना होगा। इसके साथ-साथ वैज्ञानिक जगत को भी जल संरक्षण के लिए उन्नत कृषि सुधारों पर काम करना होगा।
इसी तरह, शहरों की उचित योजना बनाने और विज्ञापनों के माध्यम से जल संरक्षण को बढ़ावा देने की आवश्यकता होगी। व्यक्तिगत स्तर पर हम शॉवर या टब के बजाय बाल्टी का इस्तेमाल करके पानी के बचत की शुरुआत कर सकते हैं।
घर में प्रयोग होने वाले वाटर प्यूरिफायर्स के पानी को हम बागवानी के प्रयोग में ला सकते है। बाथरूम के पानी को भी रिसाइकल करने पर विचार किया जा सकता है। इसके अलावा हमें बहुत ज़्यादा बिजली का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हमें ज़्यादा से ज़्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए। वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए ताकि हम बारिश के जल को संरक्षित कर उसका भी फ़ायदा उठाया जा सकें।
इसके अलावा हम अपने दाँतों को ब्रश करते समय या बर्तन धोते समय नल बंद करके भी पानी बचा सकते हैं। वॉशिंग मशीन का इस्तेमाल तभी करें जब उसमें पूरी तरह पानी भरा हो। सब्ज़ियाँ या फल धोते समय पानी बर्बाद न करें, बल्कि इसका इस्तेमाल पौधों को पानी देने में किया जाये।
Solution to water crisis जल संकट का समाधान
कुल मिलाकर, हमें पानी की कमी को एक वास्तविक समस्या के रूप में पहचानना होगा क्योंकि ना सिर्फ जल का होना हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक है अपितु यह भावी पीढ़ी के लिए भी जरूरी है। जल संकट को कम करने के लिए हमें टिकाऊ जल प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने, जल उपचार और बुनियादी ढांचे में निवेश करने, जल संरक्षण को बढ़ावा देने और समान जल वितरण सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी नीतियों को लागू करने की आवश्यकता है। इस प्रयास में सरकार, उद्योग और समुदायों के बीच सहयोग भी काफी महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही साथ हमें जल संरक्षित करने के लिए भी कदम उठाने होगे।
ऐसी कई चीजें हैं जो हम राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी कर सकते हैं। इसलिए, हमें अब इन सभी उपायों को एक साथ समेकित रूप में अपनाते हुए पानी के संरक्षण में अपनी अपनी भूमिका निभानी चाहिए ताकि हम अपने अस्तित्व को बचाए रख सके और भावी पीढ़ी को भी जीवन जीने का आधार उपलब्ध करा सकें।
जल की कमी को दूर करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। वर्षा जल संचयन और वाटरशेड प्रबंधन जैसे कुशल जल प्रबंधन प्रथाओं को लागू करने से जल स्रोतों को फिर से भरने में मदद मिल सकती है। जल उपचार प्रणालियों में निवेश और सिंचाई तकनीकों में सुधार से अपव्यय और प्रदूषण को कम किया जा सकता है। जनता के बीच जल संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना और जिम्मेदार जल उपयोग को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, दीर्घकालिक समाधानों के लिए स्थायी Water आवंटन और प्रबंधन को बढ़ावा देने वाली नीतियां आवश्यक हैं।
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